Wednesday, February 2, 2011

Drunk एंड द्राइब

एक पार्टी में जब गया मै
माँ तेरे कहे हुए शब्द जहन में थे
तू ने कहा था --- "पीना मत "
मेरे हाथ था सोडा और जम पी रहे थे !

चल रहा था दौर जामों का
तेरी बात मुझको, याद आती रही
जब पीना हो तो , गाडी मत छूना
जहन में बस वही बात घुमती रही !

दोस्त कर रहे थे आग्रह मुझसे
अरे एक आध पैग पीले पीले
कल किसने देखा है मित्र ----
आज की इस स्याम को, जी भरके जी ले !

मैं उनको बड़े आदर से किया मना
मित्र , मै ठीक हूँ आप इंज्वाय करे
ट्रंक एंड द्राइब बात थी जहन में
वो सब मस्त थे , था अकेला मै जाम से परे !

था मुझको मालुम जो कर रहा था मै
जो तुने कहा था वही कर रहा था मै
पार्टी ख़त्म होने को है सब जाने को है
आता हूँ शीघ्र माँ, निकलने को हूँ मै !


किसीने अनदेखी मै , दी मरी टकर
जैसे ही गाडी गई सडक में मेरी
इतनी भयंकर थी टकर ,टकराकर
चार पाच बार रोल हुई गाडी मेरी !

मै चोटग्रस्त था बीच सडक में
लहुलुहान था तडफ रहा था
आई पुलिश सिच्युएशन देख रही थी
कह रही थी , मरी जिसने टकर,, वो पिए हुए था !

अम्युलैंश ने देखा देख के वो भी घबराए थे
बहता खून देख हाथ पाउ उनके फुल रहे है
जतन करते करते ओ कह रहे थे
क्या लेजाए हस्पताल , इसका तो बचना मुश्किल है !

माँ, एक बात कहूँ, मैंने तो पी ही नही
फिर मुझको ये सजा मिली क्यों है
दोष किसकी का और भुगते कोई
इश्वर तेरे यहाँ एसा क्यों है !

मै गिन रहा हूँ अंतिम साँसे
जिसने पी , मरी टकर वो मुझे घूर रहा है
मै मिरतु शाया पर लेटा हूँ
वो जीबित खड़ा खड़ा निहार रहा है !

माँ में तुम से एक बात पूछता हूँ आज
उत्तर दे मै जा रहा हूँ
जब मैंने पीकर गाडी नही चलीइ
तो? मै ही क्यों मर रहा हूँ !

अनुबादक
पराशर गौर
सितम्बर १० दिनमे ३.३४ पर

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