Wednesday, February 2, 2011

रिशता

मै
एक मित्रके साथ
उसके लिए लड़की देखने
लड्किवालो के घर गया !

पहुँचते हुआ स्वागत
पूड़ी/कचोरी , मिठाइयो से
हुई आवा - भगत !

तभी ,
लड़की की माँ - मिठाई लेकर
मेरे पास आकर बोली ..... ,
" बेटा---, क्या करते हो ?
इसी शहर से हो या बाहर रहते हो ?
अभी पड़ाई चल रही है या
नौकरी करते हो ?
भाई/बहिन कितने है
माँ- बाप है भी , या नही ? "

मै टुकुर टुकुर
मै उसकी ओर देखता रहा
और वो बात करती रही !

लडकी का बाप
सब देख रहा था
लडकी की माँ शायद
गलत समझ रही है
वो बात समझ गया था !

पत्नी के पास जाकर बोला ..,
"अररी .. भगवान् ... लडका ये नही
वो ... वो ओ , वो, वो है
जिसने अभी अभी ...
अपने मुह पर हाथ रखा था !

उसे देखकर , वो बोली ....
वो ...?
उसे तो हम लडकी नही देगे
बाप बोला ... , " क्यों ... ? "
वप बोली ... ये कम बख्त तो
मुझे भी देखने आया था !

पराशर गौर
३ मी ०३ ओ५.५६

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