दि उ .....
फुंडू फुका यार ...
कैकी छा छुई लगाणा !
इत्कै गाल गाल अ ईच नौनी
त,
गंगाजिम डाल दया
वीथै भी अर तुम थै भी मुक्ति मिली जाली
क्या समझ्य !?
नि बिंगा ??
खत्यु च खत्यु !
पराशर गौर
मई १४ स्याम ५ १७ पर २०१०
Wednesday, February 2, 2011
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