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पाराशर गौड़ - हिन्दी राइटर्स गिल्ड
Monday, January 5, 2009
एक प्रयास
गीत हो या गज़ल छ्न्द हो या रुबाई
ये तो कहने के बहाने हैं जिसमें तुम हो समाई !
देखा नहीं तुमने चाँद को कभी शरमाते हुए
आते ही आइना क्यूँ तुम शरमाई ........
!
वो मदस्त
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एक प्रयासगीत हो या गज़ल छ्न्द हो या रुबाई ये तो कहन...
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